Book Review: ऐसी-वैसी औरत - अंकिता जैन (Aisi Waisi Aurat by Ankita Jain)

Aisi Waisi Aurat Book Review
ऐसी वैसी औरत - अंकिता जैन - Book Review
पिछले हफ़्ते, एक दोस्त से बातें करते-करते, रेडियो और नीलेश मिश्रा की बात चल पड़ी. कितने दिन हो गए थे, रेडियो को सुने या कहू कितने साल. आख़िरी बार, कब और कहा रेडियो सुना था याद नहीं. बस याद हैं कि मैं रेडियो सुना करता था, पापा के लाए हुए ट्रांज़िस्टर पर. वही छोटा-सा सुनहरे रंग वाला ट्रांज़िस्टर जिस पर FM रेडियो स्टेशनस के अलावा, AM और SW रेडियो स्टेशनस भी आते थे.

वैसे मुझे रेडियो पर आने वाली कहानियाँ काफ़ी पसंद थी. सुनते-सुनते उन कहानियो के पात्रो की मन में एक छवि बनाना, उन्हें अपने यार-दोस्तों, जान-पहचान वालो और कभी खुद से कनेक्ट करना और उन कहानियो का मतलब खोजने के लिए अपने दोस्तों के साथ कॉलोनी की लाइट चले जाने के बाद, कॉलोनी की लाइट आने तक बाते करना. शायद इसलिए मुझे पसंद थे, नीलेश मिश्रा के रेडियो शो, यादों का इडियटबॉक्स, और यूपी की कहानियाँ. दोस्त ने बताया कि मिश्रा जी आज भी कहानियाँ सुनाते हैं, बस उन्होंने अपना रेडियो स्टेशन बदल दिया हैं, और उनकी कुछ नयी और पुरानी कहानियाँ YouTube पर उपलब्ध हैं.

घर पंहुचा तो माँ ने घर के छोटे-मोटे काम थमा दिए, मगर पहली फुरसत मिलते ही नीलेश मिश्रा को YouTube पर खोज निकाला, और यहाँ पर उनकी कहानियो की प्लेलिस्ट छानते हुए हमारी मुलाक़ात हुई, यानी मेरी और अंकिता जैन की. अंकिता जैन, उनकी मंडली की कहानीकार. उनके द्वारा रची हुई, नीलेश मिश्रा के स्वर में घुली कहानियो को सुनने के बाद उनकी कुछ और कहानियाँ पढ़ने का मन किया, तो उन्हें इन्टरनेट पर खोजने लगा. और जैसा सोचा, वैसा पाया. अंकिता की अभी तक दो किताबे छप चुकी हैं, एक अंग्रेजी में, “the last karma” और एक हिंदी में, “ऐसी-वैसी औरत”.

अब अंग्रेजी से मन उब चूका हूँ. शायद इसलिए आज अंग्रेजी की जगह हिंदी में लिख रहा हूँ. आप मेरा अंग्रेजी में लिखा हुआ ब्लॉग भी पढ़ सकते हैं, अब पहले की तरह तो नहीं, बस कभी-कभी अंग्रेजी में लिखता हूँ. वैसे मेरी टूटी-फूटी अंग्रेजी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं, और फिर कभी-कभी शब्द नहीं मिल पाते खुद को एक्सप्रेस करने के लिए. छोड़े कहा की बाते लेकर बैठ गए.

अंकिता से दुबारा मिलते ही, उनकी हिंदी में लिखी हुई किताब अमेज़न पर आर्डर कर डाली और आज आते ही किताब सफाचट भी कर डाली. वैसे किताब का शीर्षक काफी लाजवाब हैं. ऐसी वैसी औरत.

ऐसी-वैसी औरत कुछ ऐसी वैसी दस औरतो की कहानियाँ हैं जिन्हें हम जानते तो हैं, मगर जान कर भी अनजाना कर देते हैं. जिनसे हम रोज मिलते तो हैं, मगर रोज मिलकर भी उन्हें अनदेखा कर देते हैं. जिनसे हम बात करना चाहते हैं, मगर हर रोज कुछ बोलने से पहले ही जुबान को रोक लेते हैं, और जिन्हें हम रोज समझने की कोशिश करना चाहते हैं, मगर हर रोज ना समझने के लिए एक बहाना बना देते हैं.

कुछ ऐसी वैसी औरतें, जो मालिन भौजी की तरह अपने सम्मान को खोज रही होती हैं या फिर रज्जो की तरह अपना सम्मान खो चुकी होती हैं, या फिर पूजा की तरह एक आख़िरी कोशिश करने में लगी हुई हैं. जो सना और सबा की तरह प्यार और ज़िंदगी के नए रंगों को समझ रही होती हैं, या फिर शिखा की तरह ज़िंदगी की एक और शुरुआत करने जा रही होती हैं. अंकिता की हर एक कहानी एक से बढ़कर एक हैं, और हमें हमारी ज़िंदगी के उन पात्रों को समझने में मदद करती हैं, जिन्हें हम मन ही मन कहते हैं, ऐसी-वैसी औरत.

हाँ, शुरू की दो कहानियों में आपको मुख्य किरदार दोहराया हुआ महसूस होगा, मगर उसे दोहराया ना कहकर, एक दुसरे का एक्सटेंशन कहना ज्यादा ठीक रहेगा. इस छोटी-सी बात के अलावा, जैसे मैं पहले ही कह चूका हूँ, अंकिता की सारी कहानियाँ खूबसूरत हैं और आपको कुछ नया सोचने और समझने के लिए मजबूर करती हैं. शायद, इसलिए आपको यह किताब पढ़नी चाहिए.

आप अंकिता जैन की ऐसी वैसी औरत अमेज़न से आर्डर कर सकते हैं.

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